सीएसआईआर-सीमैप लखनऊ का पादप प्रजनन और आनुवंशिक संसाधन संरक्षण प्रभाग अत्यधिक महत्वपूर्ण औषधीय और सुगंधित पौधों के आनुवंशिक सुधार और संरक्षण में प्रमुख रूप में बड़े पैमाने पर काम कर रहा है। इस संभाग द्वारा अब तक 48 विभिन्न औषधीय एवं सगंध पौधों की कुल 150 से अधिक किस्मों का विकास किया गया है एवं 2500 से अधिक जननद्रव्य संसाधनों का संरक्षण एवं संधारण(अनुरक्षण) किया जा रहा है। इनमें मुख्य रूप से से पुदीना, सिंबोपोगोन, ऑसिमम, आर्टेमिसिया एनुआ, सिलीबम मेरियानम, विथानिया सोमनीफेरा, कैथरैन्थस रोसियस, पैपेवर सोमनीफेरम, वेटिवेरिया ज़िज़िनोइड्स, रोजा दमास्केना, एंड्रोग्राफिस पैनिकुलाटा, सतावर, जेरेनियम, पचौली, कैमोमिला रिकुटिटा आदि पर अभी भी वर्तमान समय में, उच्च हर्बेज और उनमे पाए जाने वाले मुख्य अव्यव की उच्च उपज के लिए आनुवंशिक सुधार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। प्रभाग में औषधीय और सुगंधित पौधों की प्रजातियों के बीज/पौधों के आनुवंशिक विकास हेतु गामा किरण प्रेरित उत्परिवर्तन सुविधा भी है। विभाग ने इस सुविधा का उपयोग पैपेवर सोमनीफेरम की पहली लेटेक्स-मुक्त किस्म, "सुजाता" बनाने के लिए किया, जिसे अब एक खाद्य तेल की मुख्य फसल के रूप में आगे ले जाने की दिशा में काम किया जा रहा है। इस संभाग की बीज गुणवत्ता प्रयोगशाला, व्यावसायिक रूप से उगाई जाने वाली प्रमुख औषधीय और सुगंधित फसलों के बीज गुणवत्ता परीक्षण के लिए गुणवत्ता मानकों और प्रोटोकॉल के लिए बीज मानकों के विकास पर काम कर रही है। हाल ही में, समूह ने निम्न टीएचसी (<0.3%) विकसित करने के लिए भारतीय भांग (कैनबिस) जर्मप्लाज्म के आनुवंशिक सुधार पर काम करना शुरू कर दिया है। प्रभाग के पास औषधीय और सुगंधित पौधों (एमएपी) के आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण के साथ-साथ एक राष्ट्रीय जीन बैंक की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। जिससे औषधीय और सुगंधित पौधों की विभिन्न प्रजातियो के जर्मप्लाज्म को प्रभावी ढंग से लघु और मध्यम अवधि के भंडारण के लिए बीज बैंक में कुशलतापूर्वक संरक्षित किया जाता है। जीवित औषधीय और सुगंधित पौधों को उनके संबंधित क्षेत्र संरक्षिकाओं में संरक्षित किया जाता है, जैसे आयुष (चिकित्सा की पारंपरिक प्रणाली के उपयोगी पौधे), उपज (किसानों द्वारा खेती करने वाले पौधे), अमृत (सीमैप के द्वारा परिक्षण में उपयोगी पाए गए पौधे), फसल (सीमैप द्वारा विकसित किस्में), सृष्टि (झाड़ीदार औषधीय और सुगंधित पौधे), तरुवर (औषधीय और सुगंधित पौधों की पेड़ प्रजातिया), मानव (मनुष्यों के शरीर के विभिन्न अंगों के उपचार में उपयोग होने वाले पौधे), फल वन (मुख्य रूप से फलों के रूप में इस्तेमाल होने वाले औषधीय पौधे) और अंकुर (नए प्रकार के औषधीय और सुगंधित पौधे )। प्रभाग की वनस्पति विज्ञान और फार्माकोग्नॉसी प्रयोगशाला देश के विभिन्न वनस्पति भौगोलिक क्षेत्रों से औषधीय और सुगंधित पौधों की प्रजातियों का सर्वेक्षण, संग्रह और प्रमाणीकरण करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। हमारा समूह एंजियोस्पर्म टैक्सोनॉमी (शास्त्रीय और आणविक), फाइलोजेनी, जनसंख्या जीवविज्ञान, मार्कर, आनुवंशिक विविधता, वानस्पतिक प्रमाणीकरण और डीएनए बारकोडिंग पर भी कार्य कर रहा है । प्रभाग की वनस्पति विज्ञान और फार्माकोग्नॉसी प्रयोगशाला में औषधीय और सुगंधित पौधों के अत्याधुनिक नेशनल हर्बेरियम के साथ साथ क्रूड ड्रग रिपॉजिटरी (सीडीआर) की स्थापना की गई है। सीमैप रिपॉजिटरी में हर्बेरियम नमूनों और क्रूड फार्मास्यूटिकल्स का रखरखाव को एनएबीएल प्रमाणीकरण प्राप्त है। संभाग ने उच्च उपज वाली किस्मों की आपूर्ति करके किसानों को राजस्व और रोजगार उत्पन्न करने में भी मदद की है।